तारीख बदली, साल बदला।
न हम बदले, न हमारा हाल बदला ।।
केलैन्डर बदला, महीना बदला।
हमने जो देखा, कुछ कहीं न बदला ।।
दिन बदला, काल बदला।
न हालात बदले, न जीने का सवाल बदला ।।
ऋतु बदली, मौसम बदला ।
न रोज़ की भागमभाग, न दौड़ते रहने का ख़याल बदला ।।
कहते हैं ज़माना बदल गया है ।
न इन्सान की फितरत, न बदला लेने का रिवाज़ बदला ।।
हम पर भी तोहमत है कि हम बदल गए हैं।
बाखुदा अपना मिज़ाज न कोई अन्दाज़ बदला ।।
रात भर जश्न मे बेखुद रहे वो लोग ।
फिर वही सुबह थी, कुछ न सूरत- ए-हाल बदला ।।
तारीख बदली, साल बदला।
न हम बदले, न हमारा हाल बदला
लेखक - गिरीश सिंह
बहुत खूब...
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हटाएंअति सुन्दर
जवाब देंहटाएंशुक्रिया
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